जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी

Friday, February 15, 2008

बढ़ो-बढ़ो

बढ़ो-बढ़ो संघर्षमार्ग पर
नयी उषा के स्वागत को
संगीनों गोलों से अपने हम प्रशस्त करते पथ को।
ताकि हमारी दुनिया का बस श्रम ही स्वामी बन जाए,
एक बड़े परिवार सूत्र में
सारी दुनिया बंध जाए।
युद्ध क्षेत्र में बढ़ो-बढ़ो
अरे किसानों, ओ श्रमिकों!

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