समय देवता
ऐसे समय तुम्हे मेरी पृथ्वी का परिचय प्राप्त हुआ है
जबकि युद्ध की चीलों के मुंह से हड्डी की गंध आ रही...
धुएं की चिड़िया धरती का धान खा रही।
समय देवता
किंतु तुम्हारे रेशम के इस चमक वस्त्र में
मिट्टी का विश्वास बांधकर
भेज रहा हूं
मेरी धरती पुष्पवती है
और मनुज की पेशानी के चारागाह पर दौड़ रही हैं
तूफानों की नई हवाएं।
जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी
Friday, February 29, 2008
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