जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी

Friday, February 29, 2008

दरोगा की दुलहिन को आया बुखार

दरोगा की दुलहिन को आया बुखार
कि जैसे पयोनिधि में आया हो ज्वार।
दरोगिन का कांपा कुंदन शरीर
कि जैसे कपोतिन हो कंपती अधीर।
दरोगा जी दौड़े दरोगिन के पास
दरोगिन को देखा तड़पते उदास।
बड़ी जोर से वे मचाते पुकार
जनाने से दौड़े कि जैसे बयार।
सिपाही को भेजा कि जा अस्पताल
लिवा लाओ डाक्टर को बीते न काल
दरोगिन की हालत थी बिल्कुल खराब
दया के भिखारी थे जालिम जनाब
चले आए डाक्टर, था पैसे का जोर
कि खींचा हो जैसे दरोगा ने डोर
दवा दी गई और उतरा बुखार
कि जैसे उतरता है सागर का ज्वार
कमाए थे पैसे कई सौ हजार
भरा था तिजोरी में धन बेशुमार
दरोगा ने दौलत से मारा बुखार
दरोगिन को तज के सिधारा बुखार।

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